Bharat अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण विषय रहा है, खासकर जब से तालिबान ने फिर से सत्ता संभाली है। पाकिस्तान ने अक्सर भारत पर अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है, लेकिन हाल ही में तालिबान सरकार ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। यह लेख पाकिस्तान के दावों, तालिबान की प्रतिक्रियाओं और भारत की भूमिका पर विस्तृत चर्चा करता है।
पाकिस्तान के आरोप: एक रणनीतिक प्रयास? : Bharat
आरोपों की पृष्ठभूमि
पाकिस्तान सरकार लंबे समय से भारत पर आरोप लगाती रही है कि वह अफगानिस्तान में चरमपंथ को बढ़ावा दे रहा है और पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों में लिप्त है।
हालिया बयान
2025 की शुरुआत में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर भारत पर अफगानिस्तान की धरती का उपयोग कर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
आंतरिक राजनीति का प्रभाव
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के ये बयान आंतरिक दबाव से बचने और अपनी असफल नीतियों का दोष भारत पर डालने का प्रयास हैं।
तालिबान की प्रतिक्रिया: सच्चाई का संकेत
तालिबान सरकार का आधिकारिक बयान
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने स्पष्ट कहा कि अफगानिस्तान की धरती किसी भी देश के खिलाफ उपयोग नहीं हो रही है, विशेष रूप से भारत के खिलाफ नहीं।
भारत के साथ संबंधों को लेकर रुख
तालिबान सरकार ने यह भी कहा कि भारत के साथ उनके संबंध व्यावसायिक और शांतिपूर्ण हैं।
भारत की भूमिका पर तालिबान की राय
तालिबान के अनुसार, भारत ने अफगानिस्तान में अस्पताल, स्कूल और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं बनाई हैं, जो पूरी तरह से विकास केंद्रित हैं।
भारत की भूमिका: विकास और स्थायित्व की ओर
मानवीय सहायता
भारत ने अफगानिस्तान को खाद्य सामग्री, दवाइयां और कोविड-19 के समय वैक्सीन्स भेजी थीं।
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स
- ज़ारांज-दिलाराम हाइवे
- अफगान पार्लियामेंट बिल्डिंग
- सलाईमा डैम प्रोजेक्ट
शिक्षा और स्कॉलरशिप
भारत ने हज़ारों अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की है, जिससे अफगान युवाओं को बेहतर भविष्य मिला है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमेरिका और पश्चिमी देशों का रुख
पश्चिमी देश पाकिस्तान के इन आरोपों को बहुत गंभीरता से नहीं लेते, खासकर जब उनका कोई ठोस सबूत नहीं होता।
संयुक्त राष्ट्र की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान की स्थिरता में भारत की भूमिका सकारात्मक रही है।
अफगान जनता की नजर में भारत और पाकिस्तान
भारत की छवि
अफगान जनता में भारत की छवि एक सहयोगी और मददगार देश के रूप में है।
पाकिस्तान के प्रति संदेह
पाकिस्तान के दोहरे रवैये और अफगान तालिबान के साथ संबंधों को लेकर वहां की जनता में संदेह रहता है।
मीडिया की भूमिका
पाक मीडिया की भूमिका
पाकिस्तानी मीडिया अक्सर भारत विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देती है, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया
इन मीडिया संस्थानों ने तालिबान के बयानों को प्रमाणिकता दी और पाकिस्तान के दावों पर सवाल उठाए।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और अफगानिस्तान के संबंध
दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक, व्यापारिक और राजनीतिक स्तर पर मजबूत रहे हैं।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध
भौगोलिक नज़दीकी के बावजूद दोनों देशों के बीच हमेशा अविश्वास और टकराव की स्थिति रही है
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निष्कर्ष
पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाए गए आरोप न केवल तथ्यहीन हैं बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी हानिकारक हैं। तालिबान सरकार का स्पष्ट बयान यह दर्शाता है कि भारत अफगानिस्तान में विकास और मानवीय सहायता का प्रतीक है, न कि अस्थिरता का स्रोत। भारत को इस मुद्दे पर अपनी नीतियों की पारदर्शिता बनाए रखते हुए, अफगानिस्तान के लोगों की सहायता जारी रखनी चाहिए।
पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: क्या तालिबान भारत के खिलाफ है?
उत्तर: नहीं, तालिबान सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत के खिलाफ कोई विरोध नहीं है और उनके संबंध शांतिपूर्ण हैं।
Q2: क्या भारत ने अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप किया है?
उत्तर: नहीं, भारत ने हमेशा विकास और सहायता पर ज़ोर दिया है, न कि सैन्य हस्तक्षेप पर।
Q3: पाकिस्तान के आरोपों की सच्चाई क्या है?
उत्तर: अधिकतर आरोप बेबुनियाद हैं और उनका उद्देश्य आंतरिक राजनीति से ध्यान हटाना है।
Q4: क्या भारत की छवि अफगानिस्तान में सकारात्मक है?
उत्तर: हां, भारत की छवि एक विकास समर्थक और सहयोगी देश के रूप में देखी जाती है।
Q5: भारत को आगे क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: भारत को पारदर्शी नीतियों के साथ अफगानिस्तान की मदद और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते रहना चाहिए।