उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित Kedarnath धाम, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। हर वर्ष शीतकाल में छह महीने तक बंद रहने के बाद, यह धाम पुनः श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। इस वर्ष, 10 मई 2024 को केदारनाथ धाम के कपाट विधिपूर्वक खोले गए, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपस्थिति दर्ज की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा संपन्न हुई।
Kedarnath धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया
पंचमुखी डोली की यात्रा
कपाट खुलने से एक दिन पूर्व, 9 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ से विभिन्न पड़ावों—गुप्तकाशी, फाटा, गौरीकुंड—से होते हुए केदारनाथ धाम पहुंची। यह यात्रा पारंपरिक विधियों के अनुसार संपन्न हुई।
कपाट खुलने का समारोह
10 मई को प्रातः 7 बजे, वैदिक मंत्रोच्चार और सेना के ग्रेनेडियर रेजिमेंट की बैंड धुनों के बीच, केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले गए। इस अवसर पर दस हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे। मंदिर को 20 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया था, और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट खुलने के अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित होकर पूजा अर्चना की। उन्होंने कहा, “भक्त और तीर्थयात्री इस यात्रा का इंतजार करते रहते हैं। वह पवित्र दिन आया और द्वार खुल गए। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। सारी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। मैं सभी को अपना अभिनंदन देता हूं और उन सभी का स्वागत करता हूं। यहां पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई। पूरे विधि-विधान के साथ दर्शन शुरू हो गए हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद बाबा केदार मंदिर के पुनर्विकास का काम तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि यह जल्द पूरा हो।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा
कपाट खुलने के बाद, मंदिर में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई। यह पूजा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में संपन्न हुई, जिसमें देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना की गई।
श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति
कपाट खुलने के अवसर पर, देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। भीषण ठंड और बर्फबारी के बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। मंदिर परिसर और धाम के लिए जाने वाले पैदल रास्तों से बर्फ हटा दी गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
सुरक्षा और सुविधाएं
राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को सुगम एवं सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे मौसम की जानकारी लेकर ही आगे बढ़ें, जिससे किसी को भी मौसम की वजह से कोई असुविधा न हो।
चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया
चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण आवश्यक है। पंजीकरण के लिए निम्नलिखित माध्यम उपलब्ध हैं:
- ऑनलाइन पंजीकरण: registrationandtouristcare.uk.gov.in या ‘Tourist Care Uttarakhand‘ ऐप के माध्यम से।
- टोल फ्री नंबर: 0135 1364
- वाट्सऐप नंबर: +91-8394833833
- ईमेल: touristcare.uttarakhand@gmail.com
- लैंडलाइन नंबर: 0135-1364, 0135-2559898, 0135-2552627
- ऑफलाइन पंजीकरण: ऋषिकेश में उपलब्ध है।
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निष्कर्ष
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का यह समारोह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक विरासत और एकता का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी विशेष बना दिया। श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति और राज्य सरकार की उत्कृष्ट व्यवस्थाएं इस यात्रा को सफल बनाने में सहायक रहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. केदारनाथ धाम के कपाट कब खुले?
केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई 2024 को प्रातः 7 बजे विधिपूर्वक खोले गए।
2. कपाट खुलने के अवसर पर पहली पूजा किसके नाम से की गई?
पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में संपन्न हुई।
3. कपाट खुलने के अवसर पर कितने श्रद्धालु उपस्थित थे?
इस अवसर पर दस हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
4. चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कैसे किया जा सकता है?
श्रद्धालु registrationandtouristcare.uk.gov.in वेबसाइट या ‘Tourist Care Uttarakhand’ ऐप के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा, टोल फ्री नंबर, वाट्सऐप, ईमेल, और लैंडलाइन नंबर के माध्यम से भी पंजीकरण किया जा सकता है।
5. कपाट खुलने के अवसर पर क्या विशेष आयोजन हुए?
मंदिर को 20 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया था, और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। सेना के ग्रेनेडियर रेजिमेंट की बैंड धुनों के बीच, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कपाट खोले गए।