पाकिस्तान लंबे समय से धार्मिक मुद्दों का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ करता आया है, खासकर कश्मीर को लेकर। इसका उद्देश्य मुस्लिम देशों की सहानुभूति और समर्थन प्राप्त करना रहा है। हालांकि, हाल की वैश्विक घटनाओं और कूटनीतिक गतिविधियों ने संकेत दिया है कि पाकिस्तान की यह रणनीति अब प्रभावशाली नहीं रही है।
एक समय Malaysia जैसे देश पाकिस्तान के इस दृष्टिकोण के साथ खड़े नजर आते थे, लेकिन अब भारत के साथ उनके संबंधों में गहराई आई है। यह बदलाव न केवल दक्षिण एशिया की कूटनीति को प्रभावित करता है, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और पाकिस्तान की गिरती विश्वसनीयता को भी दर्शाता है।
पाकिस्तान की धार्मिक राजनीति: इतिहास और रणनीति
पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को बार-बार इस्लामिक उत्पीड़न के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। उसका दावा रहा है कि भारत कश्मीर में मुस्लिमों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है, और यह बात उसने ओआईसी (Organization of Islamic Cooperation) जैसे मंचों पर बार-बार उठाई।
इस रणनीति में दो प्रमुख उद्देश्य रहे:
- अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना ताकि भारत को कश्मीर पर रियायतें देनी पड़े।
- मुस्लिम देशों से आर्थिक और राजनीतिक समर्थन हासिल करना।
हालांकि, समय के साथ पाकिस्तान की यह रणनीति कमजोर पड़ती गई। इसकी कई वजहें थीं:
- पाकिस्तान के अंदर बढ़ती कट्टरता और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार।
- आतंकवाद को संरक्षण देने के आरोप और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की निगरानी सूची में होना।
- आर्थिक तंगी और राजनीतिक अस्थिरता।
Malaysia का दृष्टिकोण: समर्थन से दूरी
मलेशिया पहले पाकिस्तान के इस्लामिक दृष्टिकोण के काफी करीब था। पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की भाषा में बयान भी दिए थे। लेकिन प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के नेतृत्व में मलेशिया का रुख बदल गया है।
2024 में भारत और मलेशिया ने अपने संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” तक बढ़ा दिया, जिसमें दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई, रक्षा सहयोग, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को प्राथमिकता दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मुलाकात के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि मलेशिया अब भारत के प्रति ज्यादा सकारात्मक और संतुलित दृष्टिकोण अपना रहा है।
यह बदलाव दर्शाता है कि:
- मलेशिया अपनी विदेश नीति को अब आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देख रहा है, न कि केवल धार्मिक आधार पर।
- भारत की वैश्विक कूटनीति और प्रभावशाली नेतृत्व का असर साफ नजर आ रहा है।
भारत की कूटनीति: आत्मविश्वास और स्थिरता
भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति में संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और बहुपक्षीय संवाद को प्राथमिकता दी है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने:
- वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और मजबूत रुख अपनाया।
- दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका को स्थिर और प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया।
- मलेशिया सहित ASEAN देशों से आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाया।
भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और “नेबरहुड फर्स्ट” जैसे सिद्धांतों ने उसे केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक वैश्विक भागीदार के रूप में स्थापित किया है।
वैश्विक परिदृश्य में बदलाव
इस्लामिक देशों की प्राथमिकताएं अब बदल रही हैं। धर्म आधारित एकजुटता के स्थान पर आर्थिक विकास, स्थिरता और तकनीकी साझेदारी को प्राथमिकता दी जा रही है।
उदाहरण के तौर पर:
- यूएई और सऊदी अरब जैसे देश भारत के साथ रक्षा और व्यापार में लगातार निवेश कर रहे हैं।
- इंडोनेशिया, बांग्लादेश और मलेशिया जैसे देशों ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत किए हैं।
इस बदलते परिदृश्य में पाकिस्तान की धार्मिक अपील अब प्रभावी नहीं रही।
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निष्कर्ष
पाकिस्तान की धार्मिक राजनीति एक लंबे समय तक उसकी विदेश नीति का आधार रही, लेकिन वर्तमान में यह रणनीति अप्रभावी साबित हो रही है। मलेशिया जैसे देशों का भारत के पक्ष में आना इस बात का संकेत है कि दुनिया अब वास्तविकता, विकास और स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है, न कि धार्मिक भावना पर आधारित राजनीति को।
भारत की सफल कूटनीति, स्थिर नेतृत्व और वैश्विक दृष्टिकोण ने उसे दक्षिण एशिया ही नहीं, पूरे विश्व में एक सशक्त और भरोसेमंद राष्ट्र बना दिया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मलेशिया ने अचानक भारत का समर्थन क्यों किया?
मलेशिया की नई सरकार भारत के साथ आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को प्राथमिकता दे रही है। धार्मिक राजनीति की बजाय वास्तविक हितों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
2. क्या पाकिस्तान अब भी कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है?
हाँ, लेकिन अब उसकी बातों को पहले जैसा समर्थन नहीं मिल रहा है। ओआईसी जैसे मंचों पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग किया जा रहा है।
3. क्या भारत और मलेशिया के बीच व्यापार बढ़ा है?
जी हाँ, दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में तेजी आई है।
4. भारत की कौन-सी नीतियाँ इसे वैश्विक स्तर पर मजबूत बना रही हैं?
एक्ट ईस्ट पॉलिसी, नेबरहुड फर्स्ट, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलें और आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख भारत को वैश्विक मंचों पर मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
5. क्या पाकिस्तान की धार्मिक रणनीति पूरी तरह से खत्म हो गई है?
यह अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन इसका प्रभाव तेजी से घट रहा है। अधिकांश देश अब तटस्थ या भारत समर्थक रुख अपना रहे हैं।