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ToggleUS पृष्ठभूमि: क्यों शुरू हुआ ऑपरेशन?
- 22 जून की रात (ईरान मानक समय 2:10 AM), अमेरिका ने “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” लॉन्च किया – पहला बड़ा अमेरिकी हमला ईरान-इजरायल युद्ध में ।
- उद्देश्य: ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों (Fordo, Natanz, Isfahan) के बंकर/गुप्त सुविधाओं को क्षति पहुँचाना, न कि तत्काल शासन परिवर्तन।
Operation Midnight Hammer डिज़ाइन और संरचना
अदृश्यता और धोखा रणनीति (Deception)
- सात B‑2 स्पिरिट बॉम्बर्स मिसौरी से उड़ान भरे। साथ ही अन्य B‑2 विमान प्रशांत महासागर की दिशा में डिस्ट्रैक्शन (डमी फ्लाइट) के लिए भेजे गए ताकि ईरान को भ्रमित किया जा सके ।
- फ्लाइट पथ मौसम-रडार सिस्टम से छिपा रखा गया, किसी भी वायु रक्षा को छिद्रित नहीं किया गया ।
लंबी दूरी की प्रक्रिया
- B‑2 स्पिरिट का अनफ़्यूल्ड रेंज करीब 11,000 किमी है। इस ऑपरेशन में लगभग 37 घंटे की उड़ान, कई एयर-टंकर रीफ्यूलिंग — वैश्विक सटीक स्ट्राइक क्षमता का परिचय दिया गया ।
- कुल 125+ विमान — फाइटर, टैंकर, रीकॉग्निशेंस और पनडुब्बी से Tomahawk मिसाइल वगैरह को मिशन में जोड़ा गया।
टारगेट और हथियार
लक्ष्य स्थल
स्थल | विवरण |
---|---|
Fordo | क़ोम के पास पहाड़ के नीचे स्थित, अत्यधिक सुरक्षित बंकर सुविधा |
Natanz | मुख्य संलयन सुविधा जिसे अमेरिकी ने विशेष लक्ष्य बनाया |
Isfahan | टेक्नोलॉजी सेंटर, जिसका इन्फ्रास्ट्रक्चर Tomahawk मिसाइलों से ध्वस्त किया गया |
हथियार विवरण
- B-2 Stealth Bombers:
- 14 × GBU‑57 MOP (30,000 lb) – पहला combat deployment
- Tomahawk Cruise Missiles:
- एक परमाणु पनडुब्बी से 24–30 मिसाइलें दागी गईं, विशेषकर Isfahan में स्ट्राइक के लिए।
- कुल विस्फोटक भार लगभग 420,000 पाउंड बताया गया।
मिशन के तकनीकी पहलू
B-2 स्पिरिट की क्षमताएँ
- उत्सर्जन में न्यूनतम रडार दृश्यता (stealth) और 40,000 lb तक का पेलोड — GBU‑57/MOP सहित बंकर-बस्टिंग बम छोड़ सकता है।
- GBU‑57 को पहली बार वास्तविक युद्ध में इस्तेमाल किया गया और यह बड़ी गहराई तक संरचनाओं को नष्ट करने में सक्षम है ।
इंटेलिजेंस और फुर्ती
- मिशन में ISR (Intelligence, Surveillance & Reconnaissance) विमानों से समर्थन मिला, जिससे पैंतरेबाज़ी जैसे इं-फ़्लाइट रिएक्शन, रक्षा उपाय, और उपायों के लिए उसे नियंत्रित करने में सहायता मिली ।
- बेहद गुप्त भेजे गए B‑2 फ्लाइट डेटा, और रक्षा सचिव द्वारा ऑपरेशन रेखा पार करने के बाद कांग्रेस को जानकारी दी गई ।
परिणाम और प्रारंभिक प्रभाव
अमेरिकी प्रमुखों के बयान
- Pentagon ने कहा कि तीनों स्थल “गंभीर क्षति” के शिकार हुए पर पूर्ण निष्कासन अभी सटीक रूप से आकलित नहीं किया जा सकता ।
- रक्षा सचिव Pete Hegseth ने यह स्पष्ट किया कि मिशन केवल परमाणु ढांचे को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से था; ईरानी सैनिक समूहों को लक्षित नहीं किया गया।
- राष्ट्रपति Trump ने इसे “स्पेकटैकुलर मिलिट्री सक्सेस” कहा, साथ ही चेतावनी दी कि अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है, तो और भी हमले हो सकते हैं ।
ईरानी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- ईरान का कहना था कि लक्षित स्थल में अतिव्यापक नुकसान नहीं हुआ और कोई रेडिएशन लीक दर्ज नहीं हुआ ।
- Iran ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मामला दायर करने, संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन ठहराने और परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने की मंशा जताई ।
- UN महासचिव Guterres ने इसे “खतरनाक वृद्धि” कहा, जबकि अमेरिकी कांग्रेस में कुछ लोग सशस्त्र शक्ति अधिनियम (War Powers Act) के उल्लंघन की आलोचना कर रहे।
क्षेत्रीय और वैश्विक असर
सैन्य और आर्थिक प्रभाव
- अमेरिकी रक्षा शेयरों (Lockheed Martin, Northrop Grumman, RTX) में उछाल आया, क्योंकि F‑35, B‑2, MOP और Tomahawk जैसी तकनीकों को प्रमुखता मिली।
- तेल के दाम और क्षेत्रीय आर्थिक संकेतकों पर अधिक अध्ययन की आवश्यकता है, क्योंकि तनाव बढ़ने से कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है ।
रणनीतिक संदेश और निवारक क्षमता
- अमेरिका ने यह संदेश दिया कि वह कहीं से भी — कोन्टिनेंटल अमेरिका से — दुर्गम लक्ष्य भी निशाना बना सकता है, और इसमें संभवतः जवाबी कार्रवाई के मामले में भी अमेरिका के पास विकल्प हैं ।
- यह ऑपरेशन एक स्पष्ट चेतावनी रहा कि अमेरिका की रणनीतिक बमबाज़ी क्षमता दुर्गम परमाणु सुविधाओं तक पहुँच सकती है।
जोखिम और आगे की चुनौतियाँ
संभावित वृद्धि
- विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ईरान के संभावित प्रतिशोधी हमलों से मध्य-पूर्व में विस्तार हो सकता है, विशेष रूप से अमेरिकी आधारों, तेल रेखाओं और समुद्री मार्गों पर ।
- यह वार पॉवर एक्ट के वैधानिक और रणनीतिक दायरों को चुनौती खड़ी करता है; अमेरिका के अंदर और बाहर कानूनी बहस तेज हो सकती है ।
दीर्घकालिक असर
- उद्देश्य केवल क्षणिक क्षति देना नहीं था; बल्कि यह मिशन अमेरिकी वजूद, सामरिक क्षमता और वैश्विक थोपने की दूरगामी क्षमता का प्रदर्शन था।
- फिर भी, विश्लेषकों का कहना है कि “वॉर इज़ ईज़ी टू स्टार्ट, हार्ड टू एंड”—संघर्ष को समाप्त करना बेहद जटिल होगा ।
यह भी पढ़ें: ईरान पर Putin की पेशकश पर ट्रंप ने कहा – पहले अपने मुद्दे सुलझाओ, मिडिल ईस्ट की चिंता बाद में करना।
निष्कर्ष
Operation Midnight Hammer, 22 जून, 2025 की रात का अमेरिकी सामरिक हमला था, जिसमें 125+ विमानों का बेड़ा, B‑2 स्पिरिट बॉम्बर्स, GBU‑57 MOP, Tomahawk मिसाइलों और जटिल धोखा रणनीतियों का इस्तेमाल हुआ।
- यह पहला बार था जब GBU‑57 MOP का वास्तविक युद्ध में उपयोग हुआ।
- अमेरिका ने ईरान के परमाणु बंकरों और सुविधाओं पर सटीक और गहन प्रहार किया।
- इसका उद्देश्य था — क्षमताओं को सीमित करना, युद्ध-विरोधी संदेश देना, परास्तर युद्ध से बचना, और लघु युद्ध-क्षेत्र बनाये रखना।
- हालांकि, एक लंबी और जटिल रणनीतिक कहानी आगे भी जारी है – जिसमें कानूनी बहस, क्षेत्रीय प्रतिक्रियाएँ, और वैश्विक आर्थिक प्रभाव शामिल होंगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. Operation Midnight Hammer क्या है?
यह 22 जून, 2025 को अमेरिका द्वारा चलाया गया गुप्त और बड़े पैमाने पर एयर-स्ट्राइक ऑपरेशन है, जिसमें ईरान के तीन परमाणु स्थलों (Fordo, Natanz, Isfahan) को निशाना बनाया गया।
2. इसमें कौन-कौन से हथियार प्रयोग हुए?
14 GBU‑57 MOP (30,000 lbs) बम B‑2 बॉम्बरों द्वारा छोड़े गए और तक़रीबन 24‑30 Tomahawk मिसाइलें पनडुब्बी से दागी गईं — कुल विस्फोटक भार करीब 420,000 lbs।
3. मिशन का उद्देश्य क्या था?
काम सिर्फ परमाणु क्षमता को क्षति पहुँचाना था — ईरानी जनशक्ति या शासन को बदलने की मंशा नहीं ।
4. ईरान ने क्या कहा?
ईरान ने कहा कि नुकसान सतही है और कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ। उन्होंने इसे अवैध बताया और न्यायालयीन कार्रवाई की चेतावनी दी ।
5. इसका क्षेत्रीय और वैश्विक असर क्या होगा?
यह मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ा सकता है। अमेरिकी रक्षा शेयरों पर सकारात्मक असर हुआ, लेकिन तेल की कीमतों पर दबाव और कांची क्षमता की सीमाओं पर बहस शुरू हो गई है ।