Bloody corridor बांग्लादेश में वर्तमान समय में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफा देने की धमकी दी है। वे सेना प्रमुख वेकर-उज-जमान के साथ टकराव में हैं, जिसने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है। यूनुस पर बढ़ता जनआक्रोश और राजनीतिक दबाव स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें बंधक बनाया जा रहा है और उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा रही। ढाका में इस मुद्दे पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई जा रही है। यूनुस का यह कदम इस वक्त आर्मी चीफ के खिलाफ राजनीतिक चाल के रूप में भी देखा जा रहा है।
रखाइन कॉरिडोर: विवाद का केंद्र
रखाइन कॉरिडोर एक प्रस्तावित मानवीय गलियारा है, जिसे बांग्लादेश के चटगांव से म्यांमार के रखाइन राज्य तक स्थापित करने की योजना थी। इसका उद्देश्य म्यांमार में फंसे रोहिंग्या शरणार्थियों और अन्य प्रभावित लोगों तक सहायता पहुँचाना था। हालांकि, इस परियोजना को लेकर बांग्लादेश की सेना और अंतरिम सरकार के बीच गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए।
आर्मी चीफ का विरोध: ‘Bloody Corridor’ की संज्ञा
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने इस प्रस्तावित गलियारे को ‘Bloody Corridor’ कहकर खारिज कर दिया। उनका मानना है कि यह परियोजना बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए खतरा है और इससे देश म्यांमार के आंतरिक संघर्ष में उलझ सकता है। जनरल वकार ने स्पष्ट किया कि सेना किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो देश की संप्रभुता को नुकसान पहुँचाए।
अंतरिम सरकार का यू-टर्न
सेना प्रमुख की कड़ी चेतावनी के बाद, अंतरिम सरकार ने रखाइन कॉरिडोर पर अपने रुख में बदलाव किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस परियोजना पर कोई चर्चा नहीं की है और भविष्य में भी ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
राजनीतिक दबाव और इस्तीफे की अटकलें
मोहम्मद यूनुस पर बढ़ते राजनीतिक दबाव और सेना के साथ टकराव के बीच, उनके इस्तीफे की अटकलें तेज़ हो गई हैं। हाल ही में उनकी नाहिद इस्लाम से हुई मुलाकात ने इन चर्चाओं को और गहरा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता और सेना के साथ चल रहे मतभेद इसके पीछे हो सकते हैं।
क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
बांग्लादेश और चीन के बीच सैन्य संबंधों में हाल ही में तेजी आई है, जिससे भारत की चिंता बढ़ रही है। चीनी सेना ने बांग्लादेश के आर्मी चीफ को आधिकारिक दौरे के लिए आमंत्रित किया है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कुछ ही समय पूर्व बांग्लादेश के नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने चीन से करीबी संबंध बनाए थे। अब बांग्लादेशी सेना भी चीन से सैन्य प्रौद्योगिकी और हथियार खरीदने की तैयारी कर रही है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि बांग्लादेश चीन के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत कर रहा है। चीन द्वारा बांग्लादेश को सैन्य तकनीक देने और सहयोग बढ़ाने की पहल भारत के लिए रणनीतिक रूप से चिंता का विषय बन सकती है, खासकर जब भारत और चीन के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इस घटनाक्रम से बांग्लादेश की विदेश नीति में संभावित बदलाव और क्षेत्र में शक्ति संतुलन पर असर पड़ सकता है।
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निष्कर्ष
बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक स्थिति अत्यंत संवेदनशील है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे ने सेना और अंतरिम सरकार के बीच गहरे मतभेद उजागर किए हैं। सेना प्रमुख की स्पष्ट चेतावनी और अंतरिम सरकार के यू-टर्न से यह स्पष्ट है कि देश में सत्ता के विभिन्न केंद्रों के बीच विश्वास की कमी है। आगामी चुनावों की समयसीमा और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। बांग्लादेश को स्थिरता और लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी पक्षों के बीच संवाद और सहयोग की आवश्यकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. रखाइन कॉरिडोर क्या है?
यह एक प्रस्तावित मानवीय गलियारा है, जिसे बांग्लादेश के चटगांव से म्यांमार के रखाइन राज्य तक स्थापित करने की योजना थी, ताकि म्यांमार में फंसे रोहिंग्या शरणार्थियों और अन्य प्रभावित लोगों तक सहायता पहुँचाई जा सके।
2. सेना प्रमुख ने इसे ‘Bloody Corridor’ क्यों कहा?
सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान का मानना है कि यह परियोजना बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए खतरा है और इससे देश म्यांमार के आंतरिक संघर्ष में उलझ सकता है।
3. अंतरिम सरकार ने इस परियोजना पर क्या रुख अपनाया?
सेना प्रमुख की चेतावनी के बाद, अंतरिम सरकार ने इस परियोजना पर अपने रुख में बदलाव किया और स्पष्ट किया कि सरकार ने इस पर कोई चर्चा नहीं की है और भविष्य में भी ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
4. मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें क्यों हैं?
सेना के साथ टकराव और बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच, मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज़ हो गई हैं। हाल ही में उनकी नाहिद इस्लाम से हुई मुलाकात ने इन चर्चाओं को और गहरा कर दिया है।
5. इस स्थिति का क्षेत्रीय प्रभाव क्या हो सकता है?
बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों से भारत की चिंता बढ़ रही है। यह घटनाक्रम बांग्लादेश की विदेश नीति में संभावित बदलाव और क्षेत्र में शक्ति संतुलन पर असर डाल सकता है।