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इस सप्ताह, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर Putin ने स्ट. पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के दौरान ईरान और इज़राइल के बीच तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की। उनका प्रस्ताव इस प्रकार था कि रूस एक ऐसी समझौता प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है जिसमें ईरान शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम रख सके और इज़राइल की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके । रूस ने यूपीएस और बसेहर परमाणु संयंत्रों में अपनी भागीदारी का हवाला देकर दोनों देशों के साथ अपने “स्थिर संबंध” का जिक्र किया ।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पूतिन पहले अपने देश की सबसे बड़ी समस्या — यूक्रेन युद्ध — को सुलझाएँ, उसके बाद मध्य पूर्व के मामलों पर ध्यान दें ।
ट्रंप का स्पष्ट संदेश: “अपने घर की चिंता पहले करो”
“मुझे एक फ़ेवर्ट करो, पहले रूस का मध्यस्थ बनो”
ट्रंप ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और स्पष्ट रूप से कहा:
“Do me a favor, mediate your own. Vladimir, let’s mediate Russia first. You can worry about this later.”
इसका मतलब था कि रूस को पहले यूक्रेन में शांति लाने पर ध्यान देना चाहिए, जो आज भी वैसी स्थिति में है, और केवल उसके बाद ही उसका ध्यान ईरान-इज़राइल के मामलों पर जाना चाहिए ।
क्या रूस कर सकता है मध्यस्थता?
रूस की क्षमता और प्रभाव
- पूतिन ने दावा किया कि रूस ईरान और इज़राइल के साथ अपने लंबे समय से संबंधों के आधार पर एक तटस्थ मध्यस्थ बन सकता है ।
- उल्लेखनीय है कि रूस ईरान के बसेहर परमाणु संयंत्र के निर्माण में शामिल रहा और 200 से अधिक रूसी कर्मियों को वहां नियुक्त किया है ।
- वहीं, रूस ने इज़राइल के साथ भी सुरक्षा गारंटी साझा की हैं कि बसेहर संयंत्र को हानि नहीं पहुंचाई जाएगी।
परन्तु विवाद जारी है
- ट्रंप का तर्क रहा: “रूस खुद अपनी जमीनी समस्याओं का सामना कर रहा है — क्या वह पहले यूक्रेन का समाधान कर सकता है?” 。
- यूक्रेन संघर्ष में लगातार बढ़ती रूसी सैन्य कार्रवाइयाँ और पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति इस मुद्दे को और जटिल बनाती हैं ।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ और व्यापक परिप्रेक्ष्य
दुनिया किस तरह देखती है?
- कई यूरोपीय और संयुक्त राष्ट्र मिशन ने मध्यस्थता की वकालत की है ताकि ईरान और इज़राइल युद्ध से बचा जा सके ।
- रूस की इस पहल ने ब्रिक्स देशों और ओमान जैसे मध्यस्थों के साथ बातचीत को भी गति दी है, हालांकि यूक्रेन की पृष्ठभूमि में इस पर संदेह भी बना हुआ है ।
ट्रंप की रणनीतिक दृष्टि
ट्रंप का यह निर्णय उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें अमेरिका रूस को “अपनी ज़मीन सुधारने” की चुनौती दे रहा है। यह आरोप लगा है कि रूस की प्राथमिकता वर्तमान में यूक्रेन पर केंद्रित है, और अन्य क्षेत्रों में उसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।
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निष्कर्ष
प्रमुख बिंदु
- पूतिन की मध्यस्थता की पेशकश – रूस ईरान और इज़राइल के बीच संभावित समझौता लेकर आया ।
- ट्रंप की प्रतिक्रिया – उन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए जोर देकर कहा कि रूस पहले यूक्रेन में शांति लाए
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य – यूरोप और ओमान समेत कई दल शांति की दिशा में बोल रहे हैं, लेकिन यूक्रेन के सन्दर्भ में रूस की प्राथमिकता एक बाधा बनी हुई है।
- रणनीति की समझ – ट्रंप की अपील रूस को ‘होमवर्क’ पूरा करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे उसे मध्यस्थता का हकदार बनाया जा सके।
अंतिम विचार
ट्रंप के बयान ने साफ संदेश दिया है कि राजनयिक गतिविधियों को प्राथमिकता देते समय, हितधारकों को यह भी परखना चाहिए कि उनकी अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियाँ कहाँ तक प्रभावी हैं। यूक्रेन एक अबाध चुनौती बनी हुई है, और जब तक रूस उसका हल नहीं निकालता, तब तक उसकी किसी अन्य क्षेत्रीय राजनीति में मध्यस्थता की क्षमता संदिग्ध रहेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. पूतिन की मध्यस्थता की पेशकश कब और कहाँ हुई?
पूतिन ने यह प्रस्ताव 18–19 जून 2025 को स्ट. पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के दौरान दिया ।
Q2. ट्रंप ने इसका विरोध क्यों किया?
ट्रंप ने कहा कि रूस पहले यूक्रेन में शांति लाए, क्योंकि वह उसे प्राथमिक विकल्प मानते हैं ।
Q3. रूस के पास मध्यस्थता करने का विश्वसनीयता क्यों है?
रूस ने बसेहर परमाणु संयंत्र का निर्माण किया है और दोनों देशों (ईरान एवं इज़राइल) के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बनाए रखे हैं ।
Q4. क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने प्रतिक्रिया दी है?
हाँ, यूरोपीय देश और संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष टालने के लिए शांति पहल की वकालत की है। लेकिन यूक्रेन में रूस की रणनीति को लेकर उनकी चिंता भी बनी हुई है ।
Q5. इसका ईरान और इज़राइल पर क्या असर होगा?
यदि रूस मध्यस्थ बना, तो दोनों देशों के बीच कुछ सीधी बातचीत संभव हो सकती है। लेकिन ट्रंप और पश्चिमी दबाव इसलिए उठ रहे हैं कि इस स्थिति में रूस की भूमिका प्रभावी है या नहीं।